उसे कोई नहीं हरा सकता
चैप्टर ,12
उसे कोई नहीं हरा सकता
अब तक अपने पढ़ा रिहान श्रेया को बताता है की कैसे उसकी मां उसे मारती थी श्रेया उसे अपनी गोद ने सर रखके सुला लेती है सुबह रणधीर जी के उठाने पर वो भी उठता तो वो उसे एक ज़ोर से लात मारते है
अब आगे
रंधीर ने वैसे ही खड़े हुए कहा "तेरा बाप" और उसे घुरते हुआ कहा "क्या कहा तुने, मनहूस रूक बताता हूँ तुझे" रंधीर रिहान की तरफ़ लपका वो उसे पकड़ पाता उससे पहले रिहान श्रेया के पास भाग गया रंधीर "रूक जा आज तुझे मैं नहीं छोड़ुगा नहीं"
रिहान श्रेया के पीछे "सॉर्री डैड अब नहीं करुंगा" दोनों श्रेया के आस पास घुम कर एक दुसरे से लड़ रहे थे और राहुल हस रहा था उन दोनों को एसे लडते देख श्रेया उनहे रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो दोनों सुन ही नहीं रहे थे अब श्रेया गुस्से में चिल्लाती है "स्टॉप इट"...... उसकी गुस्से भरी अवाज़ सुनके दोनों शांत हो जाते हैं.......
श्रेया गुस्से में कहती है...... "रिहान सामने आओ" रिहान चुप चाप सामने आकर सर निचे कर खड़ा हो जाता है..... श्रेया कहती है "रिहान पापा है वो ,तुम्हारे सॉर्री बोलो "
रिहान... "सॉर्री डेड" फीर श्रेया रंधीर को घुरते हुए "और आप ,आप क्या बच्चे हैं, क्या बच्चों की तरह लड़ रहे हैं शर्म नहीं आती आपको"
रंधीर... "वो मैं" श्रेया उनकी बात बिच में काटते हुए कहती है "वो मैं क्या, वो तो बच्चा है लेकिन आप कमसेकम अपनी उम्र का तो खयाल किजिए लेकिन नहीं आप तो इससे भी छोटे हैं शुरू हो गया भाग दोड़, सुधर जाइए रंधीर जी वरना मेरे पास और भी तरीके हैं समझे आप "
रंधीर सर झुका के "जी समझ गया" .......फीर रिहान और राहुल को देखते हुए "और तूम दोनों 10 मिनट में निचे मिलो"
रिहान और राहुल तो बस रंधीर जी को घुर रहे थे "श्रेया दोनों को देख कर "आज का नाश्ता तुम दोनों बनाओगे और रोटी रिहान बनाएगा समझे यही सज़ा है तुम्हारी"........ और आप निचे चलीए"
फीर वो निचे चली जाती है उसके जाते ही रंधीर लम्बी सांस लेता है और अपने सिने पर हाथ रख सहलाते हुए कहता है "आज तो बच गया"
तभी उसकी नज़र रिहान और राहुल पर जाती है जो उसे ही घुर रहे थे रंधीर "क्या है एसे क्यों घुर रहे हो" रिहान कहता है "आप तो कहते हैं पूरा दिल्ली शहर आपसे डरता है" राहुल कहता है "और आप एक औरत से डर गए" रंधीर हकलाते हुए "अरे एसी कोई बात न"..
रिहान चीढ कर बोलता है "नाक कटा दी हूह" और दोनों तैयार होने चले जाते हैं "रंधीर भी मुंह बनाके निचे चला जाता है श्रेया भी तैयार होकर निचे चली आती है रंधीर उसके सामने सोफे पर बैठ जाता है थोड़ी देर में श्रेया उसे कॉफी देती है और पूछती है "आप इतनी सुबह यहाँ कोई काम था क्या"
रंधीर "हा कूछ ज़रूरी बात करनी थी" लेकिन पहले ये बताओ तुम कुछ नहीं लोगी" श्रेया कहती है "नहीं मैं चाय या कॉफी नहीं पिती हूँ" "क्योंकि माँ को सूट नहीं करता है" राहुल कहता है श्रेया हां में गरदन हिला देती है फिर वो रिहान की तरफ देखकर कहती है "रिहान प्रिंसिमा कौन है"
श्रेया की बात सुन रिहान घबराते हुए कहता है .."प्रिंसेस वो... वो"
श्रेया..... "रिहान क्या वो मैं हूँ" रिहान की आंखे नम हो जाती है और वो सर झुका कर कहता है "सौरी प्रिंसेस"
श्रेया उसके पास जाती है और कहती है ... "क्यों" रिहान नम आंखों से कहता है.. "वो मैं आपको" श्रेया मुस्कुराते हुए कहती है..... "मैंने पूछा क्यों कहते हो प्रिंसिमा"
रिहान सर झुका कर कहता है "क्योंकि आप प्रिंसेस हो और माँ की तरह प्यार भी करते हो इसलिए"
श्रेया कुछ पल उसे देखती है फिर कहती है "जाओ जाकर खाना बनाओ"
रिहान उसे आश्चर्य से देखते हुए कहता है "आपको बुरा तो नहीं लगा" श्रेया उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में भरते हुए कहती है "अगर माँ को मां कहोगे तो उसे बुरा क्यों लगेगा"
रिहान कहता है "लेकिन आप मेरी सगी माँ नहीं है ना" श्रेया मुस्कुराते हुए कहती है "माँ माँ होती है लाडले अपनी या सौतेली नहीं"
रिहान उसके गले लग जाता है, श्रेया मजाक उड़ाते हुए कहती है "एसे मसका लगाने से कूछ नही होगा, रोटी तुम्ही बनाओगे और लाडले तुम ,नमक पिछले बार ज्यादा था" उसकी बात सुन दोनों किचन में खाना बनाने चले जाते हैं".......
रंधीर... "तुम्हे नहीं लगता इन्हें पढने देना चाहिए"
श्रेया कहती है ..... "थोड़ी देर मन लगाकर पढना पूरे दिन किताब लेकर बैठने से अच्छा है और मैं नहीं चाहती की अगर कल मैं इनके साथ न रहूं तो ये किसी और पर निर्भर रहें"
रंधीर.. "सही है"
श्रेया फिर कहती है "आपको क्या बात करनी थी"
रंधीर कहता है... "हा तुम्हारे जॉब की बात कर ली है मैंने, ट्रेनर के तौर पर कल जाकर मिल सकती हो, और एक सबसे ज़रूरी बात शौर्य सिंघानिया तुम्हारे बारे में इनवेस्टीगेट करवा रहा है क्या तुम उसे जानती हो"
श्रेया गहरी सांस लेकर, सिर हां में हिलाते हुए कहती है "हां वही चैंपियन है"
रंधीर चौंक जाता है और कहता है "वो स्कूल वाला" श्रेया "हां"
रंधीर उसे आश्चर्य से देखते हुए कहता है "तो अब क्या करोगी, मैं उसे ज़यादा दिन नहीं रोक पाउंगा"
श्रेया कहती है "उसकी ज़रूरत नहीं है बस चार दिन रोक लिजीए फिर मैं ये शहर भी छोड़ कर चली जाउंगी"
मुझे आपसे पुछना था "क्या मैं रिहान को अपने साथ ले जाऊँ"....... रंधिर मुस्कुराते हुए कहते हैं "मुझसे ज्यादा हक है उसपर तुम्हारा क्योंकि इस रिहान को तुमने बनाया है लेकिन तुम जाना क्यों चाहती हो क्या उसकी वजह से"....
श्रेया के चेहरे पर एक दर्द भरी मुस्कान आ जाती है और कहती है :-
"कभी दोस्ती है,, कभी दुश्मनी है,,
"कभी प्यार है,, कभी तकरार है,,
" कभी इश्क़ है,, कभी ममता है,,
"हमारी ज़िंदगी एक,, राज़ है,,
" जिसके बहुत से,, किरदार है,,
"जितना जानते हैं,, वो साथ है,,
" जो नहीं जानते,, वही तो मज़ेदार है,,
रंधीर कंफ्यूज होते हुए कहता है "मैं कुछ समझा नही"
श्रेया मुस्कुरा कर कहती है "आप नहीं समझेंगे मुझे जाना होगा" रंधीर कहते हैं "मैं उसे रोकने की कोशिश करता हूँ और पता लगा भी ले तो तुम उसे रोक सकती हो"
श्रेया मुस्कुरा कर कहती है "उसे कोई नहीं रोक सकता ,वो चैंपियन है हारना सीखा ही नहीं है उसने, और जब बात उसकी हो तब तो चैंपियन को कोई नहीं रोक सकता"
रंधीर कहता है "काफी कुछ जानती हो उसके बारे में"
श्रेया कहीं कोई हुई कहती है " बहुत अच्छे से जानती हूँ मैं उसे, खैर रिहान को मैं अपने साथ लेकर जाउंगी"
रंधीर उठते हुए कहता है "ठीक है फिर मैं चलता हूँ"
श्रेया रोकते हुए कहती है "आए हैं तो खाना खाकर जाइए आपके बेटे ने बनाया है" रंधीर पूछता है "क्या ये लोग रोज बनाते हैं"
श्रेया कहती है "नहीं सीर्फ संडे ,सब कुछ आना चाहिए इसलिए" फिर वो दोनों खाने बैठ जाते हैं श्रेया अवाज़ लगाती है "खाना बन गया है तो ले आओ" राहुल ला रहे हैं फिर दोनों खाना लगाते हैं"
रंधीर खाने को देख कर मुंह बनाते हुए कहता है "खाने लायक तो है ना" रिहान मुंह बनाते हुए कहता है "आपसे तो अच्छा ही बनाया है"
एक निवाला खाते ही रंधीर चौंक जाता है और कुछ कहने वाला होता है तभी मिरा उसके हाथ पर हाथ रख देती है और ना में गरदन हिला देती है तो रंधीर चुप हो जाता है वही रिहान और राहुल अपनी माँ को देख रहे थे कि वो कुछ बोलेगी तभी श्रेया कहती है"...........
श्रेया कैसे जानती है शौर्य को? क्यों शहर छोड़ कर जाना चाहती है श्रेया? क्या शौर्य ढूंढ पाएगा मीरा को? श्रेया कैसे जानती है मीरा को? जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी "एक मां ऐसी भी" मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए बाय बाय
वानी #कहानीकार प्रतियोगिता
Abhilasha Deshpande
13-Aug-2023 10:28 PM
Nice story
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अदिति झा
17-Jul-2023 12:00 PM
Nice 👍🏼
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Gunjan Kamal
17-Jul-2023 01:57 AM
👏👌
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